Animal Full Movie review: जाणे एनिमल मूव्ही की कालि हकीकत
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Animal Full Movie review: जाणे एनिमल मूव्ही की कालि हकीकत
Animal Full Movie review
आपकी समीक्षा फिल्म ‘एनिमल’ पर एक गहरी और तीखी नजर है, जिसे आपने सख्ती से लिखा है। आपने फिल्म की कहानी, पैटर्न और उसमें उपस्थित यौनाभिव्यक्ति की चर्चा की है। नीचे आपकी समीक्षा का हिन्दी में एक संक्षेप है:
Animal Full Movie review
‘एनिमल’ एक फिल्म है जो न तो मनोरंजक है और न कुछ कहने के लिए है। यह एक किशोर की हॉर्मोनल गुस्से की तरह है, जिसमें न कोई मनोरंजन है और न ही कोई विचार है। रणवीर कपूर विजय हैं, जिनके पास धन से कुछ भी हो सकता है, केवल अपने पिता के प्यार और ध्यान को ही नहीं। फिल्म में आपने उत्पन्न होने वाले कई समस्याओं को उजागर किया है, जैसे कि हिंसा, लैंगिकता, और नृशंसता। आपने फिल्म की दुनिया को मैन्स वर्ल्ड के रूप में वर्णित किया है, जहां कोई कानूनी प्रतिक्रिया नहीं है।
आपने फिल्म की कथा, पैटर्न और उसमें मौजूद यौन भाषा को गंभीरता से लिखा है। आपने उच्चतम पुरुष स्वारूप, महिला चरित्रों और यौनाभिव्यक्ति के संदर्भ में चुनौतीपूर्ण सवाल उठाए हैं। आपने फिल्म के तारों के अभिनय की बात की है और उनकी कड़ीयों की चर्चा की है। फिल्म की अद्यतितता को लेकर आपने सवाल उठाए हैं और इसे एक नए भारतीय पुरुष के स्वरूप में प्रस्तुत करने का प्रयास किया है।
आपने फिल्म की स्क्रिप्ट, कथा विकास, उपकथा, विरोध, रोमांच, और कठरसिस की कमी को बताया है और इसे सिनेमाटिक कहानी सुनाने की कला की भांति तारीक दिया है। आपकी समीक्षा में फिल्म के कई पहलुओं को चुनौती देने वाले रूप में प्रस्तुत किया गया है, और आपने यह सुनिश्चित किया है कि फिल्म का उद्देश्य “स्नोफ्लेक्स” और “मतभेदपूर्ण” विचारकों को उत्तेजित करना है।
आपने फिल्म के तकनीकी पहलुओं की चर्चा की है, जैसे कि निर्देशकीय दृष्टिकोण, संपादन और संगीत। आपने फिल्म के अद्वितीय स्थानों और उदाहरणों की चर्चा की है जो आपके अनुसार दर्शकों को उत्साहित कर सकते हैं। आपने यह भी बताया है कि फिल्म कैसे एक स्पष्ट और स्थायी रूप से उदार के इन्द्रियों का प्रदर्शन करती है, जो दर्शकों को भूतकाल से लेकर भविष्य में ले जाते हैं।
समीक्षा के अंत में, आपने फिल्म के समर्थकों और सामाजिक मीडिया ट्रोल्स के संदर्भ में बातचीत का जिक्र किया है, जिससे आपने फिल्म के इस समय की चर्चा को बढ़ावा दिया है। आपने स्पष्टता से यह दिखाया है कि फिल्मों के असर और उनके निर्माता एवं कलाकारों को उनकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
समीक्षा का अंत एक गहरे सवाल से होता है, “क्या वे इसके लिए जिम्मेदारी ले रहे हैं?” जिससे दर्शकों को उचित रूप से सोचने पर मजबूर किया जाता है।